Wednesday 7 January 2015

जन जागृति संवाद (नव वर्ष उत्सव )

Monday 24 November 2014

देश प्रगति कर रहा या धरोहर का त्याग कर रहा है| ATM के बाद अब Water ATM



 जेब में होगा होगा पैसा तो ही प्यास बुझेगी वरना प्यासे ही रह जाओगे ......

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कितना कुछ हमें इस देश ने विरासत में दिया है विराट संस्कृति , सुंदर प्रकृति व पर्यावरण, हिमालयऔर हिमालय से निकलती पतित पावन नदियाँ आदि |
प्रकृति ने बिना भेदभाव के हमें सब कुछ समान रूप से दिया उस पर सबका समान अधिकार दिया
क्या हम विरासत को सम्भाल पा रहे है ?
नहीं..............
हमने ही ऊच - नीच और भेदभाव की दुनियां का निर्माण किया और प्राक्रतिक संसाधनों पर सिमित वर्ग को कब्जा दे दिया ,जब जरूरत सबकी तो ये कब्जा किसी खास का क्यों ?
देखिये ना अब एक और फंडा सर्व जल मतलब water atm सुनने और देखने में नई तकनीक है हम सबको इसका स्वागत करना चाहिए लेकिन मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ विरोध क्यूँ दर्ज कर रही हूँ जानना चाहेंगे |
दिल्ली राजधानी है यहाँ क्या परेशानी हो सकती है लेकिन सच्चाई ये है की यहाँ परेशानी ही परेशानी है एक ही बात करते है पानी की अर्थात जल ,हम सब जानते है जल ही जीवन है लेकिन यहाँ जल भी नहीं है जो है उस पर भी कुछ वर्ग का कब्जा है ये पीने के पानी से सब काम करते यहां तक की गाड़ियों की धुलाई बगीचे की सिंचाई आदि अफ़सोस व दुःख की बात है जहा इस शहर की मेहनतकश गरीब जनता रहती है और जहा लोगो को सरकार ने पुनर्वास किया है बसाया है वहा पीने का पानी भी नहीं है , लोग प्रदूषित भूजल पीने को मजबूर है जिससे लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है |
अब लोग लड़ने लगे है और हक़ की बात करने लगे है तो आला कमानों में सुगबुकाहत होने लगी कभी टेंकर जिसमे भी साफ़ पानी नहीं होता दिल्ली जल बोर्ड का कहना है पानी ही नहीं है कहा से दे , लोगो ने और शौर मचाया और बराबरी की बात की तो अब बारी आगई सर्व जल मतलब water atm की इसका ठेका गुजरात की एक कम्पनी के पास आगया जो दिल्ली जल बोर्ड के साथ मिल कर ये काम कर रही है |
इसमें बुरा क्या है समझाने की बात ये है ?
कम्पनी के लोगो से बात की तो उनका कहना है की ये अधिकाँश जे जे कालोनी में लगाये जायेंगे ,अच्छी बात है पर इसके उपभोक्ता का कहना है पानी खारा है और तेलिय लगता है और पानी की कीमत तीस पैसा लीटर है |
निष्कर्ष ये की अत्यधिक गरीबी में आपको पीने का पानी की भारी कीमत चुकानी होगी जब की इसमें घर के अन्य इस्तमाल की बात नहीं है
आईये हम पानी के समान वितरण की बात करें हम ये ना भूले ये गंगा यमुना सरस्वती जेसी पावन नदियों का देश है जहा पानी के प्याऊ लगाने की परम्परा है पानी पिलाना पुन्य का काम है |
हम अपने हक की बात करे |
इन तकनीक को सार्वजिनिक स्थलों पर प्रयोग करें जहा पर मुसाफिरों को मज़बूरी में प्यास बुझाने के लिए बीस रूपये की बोतल खरीने के लिए मजबूर होना पड़ता है |
पुष्पा

Friday 14 November 2014

बाल दिवस (भारत के भविष्य को जाने और उनको सही दिशा दें )

बाल दिवस (भारत के भविष्य को जाने और उनको सही दिशा दें )
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बच्चे मन के सच्चे ये वो फूल है जो भगवान् को लगते अच्छे 
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ये लाइन बच्चो के कोमल मनपवित्र भाव को दर्शाती है अगर पूरी दुनिया बच्चो की तरह निश्चल और  निष्पक्ष होती तो दुनिया में डरभयआतंकअपनापराया जेसे शब्द नहीं होते कल्पना करें कि तब दुनिया केसी दिखाई देती मुझे लगता है की जेसा मैं सोच पा रही हूँ वेसा ही आप भी सोच रहे होंगे |

अगर आप मेरी तरह सोच पा रहे है तो फिर सोचने की बात ये भी है की फिर ये दुनिया ऐसी क्यू है इतना हाहाकार क्यों है इंसान इंसान के खून का प्यासा क्यों है ये इंसान जो खून का प्यासा है कब बच्चे से इंसान बन कर ये हेबानियत पर उतर आया पता ही नहीं चला |

अगर हमारे घर में बच्चे है तो कृपया उन बच्चो के अच्छे संस्कार दे और नेक इंसान बनाए उनके मन की कोमलता को बरकरार रखे जिससे ईश्वर की इस खुबसुरत कायनात में प्रेम और सौहार्द का माहोल तैयार हो सके 

दुःख इस बात का है लाखों बच्चे ऐसे जिनकी जिन्दगी सडकों पर नशे में गुजर रही है ,बहुत से बच्चे जिन्होंने आज तक स्कूल को देखा भी नहीं ये ही नहीं मैंने उनके हाथो कटोरा देखा है भीख मांगते देखा है तब मुझे दुःख होता है जब वो हाथ फेलाते है और मैं मना कर देती हूँ जब मैं कोशिश करती हूँ की उनके माँ बाप से बात करू तो उल्टा मेरे ऊपर वार होता है ऐसे में ये जिम्मेदारी किसकी है समझाना पडेगा हम सबको साझा प्रयास करना पड़ेगा |
  
आज भलस्वा के बच्चो ने बाल दिवस मनाया और अपने मन की बात कहीस्कूल में क्या माहोल है कैसे  शिक्षक उनके साथ पेश आते है गाली देते हैठीक से पढाई नहीं होती पीने का पानी नहीं है शौचालय गंदे रहते है पूरे पीरियड नहीं लगते बेठने की ठीक से कोई व्यवस्था नहीं है एक कक्षा में 70 से 80 बच्चे बठते है आदि ऐसे में हमारे देश का क्या भविष्य तैयार हो रहा है, आप स्वयं समझ सकते हो |
बच्चो ने अपनी बात पेंटिंग के माध्यम से कहने की कोशिश की है आइये हम बच्चो की इन आड़ी तिरछी रेखाओं का मतलब जानें |


- पुष्पा